साधो , देखो जग बौराना रामजी प्रसाद" भैरव " ललित निबन्ध
कबीर कहते हैं केवल राम से स्नेह करने वाले ही इस विषय वासना से बच सकते हैं , बाकी तो पूरा संसार ही इस विष को खा कर मरने के लिए तैयार है ।

रामजी प्रसाद "भैरव"
8:11 AM, Sep 27, 2025
रामजी प्रसाद "भैरव"
जनपद न्यूज़ टाइम्सकबीर कहते हैं साधो देखो ये पूरा संसार बौरा गया है । हमारे यहाँ बौराना का मतलब पगलाना होता है । कबीर संसार को पागल क्यों कहते हैं । क्या सचमुच ये संसार पागल है । नहीं , मुझे नहीं लगता । पर कबीर कह रहे हैं । कबीर झूठ नहीं बोलते । कबीर सच बोलते हैं । कबीर को मुँह देखी करने नहीं आती । वह डंके की चोट पर अपनी बात कहते हैं । वह कानाफूसी भी नहीं करते । वह तो बेलाग कहते हैं । किसी को बुरा लगता है लगे । कबीर इस बात का ठेका नहीं लेते की वह किसी का दिल न दुःखाएँगे । कबीर को चिकनी चुपड़ी बातें करनी नहीं आती । कबीर जो देखते हैं कह देते हैं । जैसा देखते हैं । जिस रूप में देखते हैं । कह देते हैं । उनका कहना केवल कहना भर नहीं है । उसमें चेतावनी है । किसी को चेतावनी तब दी जाती है , जब वह दिग्भर्मित हो और गलत पथ पर चल पड़ा हो । कबीर को ऐसा क्यों लगता है पूरा संसार दिग्भर्मित है और गलत पथ पर चल पड़ा है । ऐसे तो दो चार व्यक्ति हो सकते है , पर पूरा संसार ही दिग्भर्मित हो गया हो , ऐसा कैसे हो सकता है । परन्तु यह बात कोई ऐरा गैरा नहीं कह रहा है बल्कि कबीर कह रहे हैं । कबीर के कहने में तर्क है । वे कुतर्क भी नहीं करते । कुतर्क तो मूर्खों का काम है । कबीर ने जो कहा वह केवल उनके समय का सच नहीं है बल्कि शाश्वत सच है । लोग तरह तरह से बौराये हुये हैं , पगलाए हुए है । कोई पैसे के लिए पागल है , तो कोई पद के लिए , कोई प्रतिष्ठा के लिए । हर इंसान किसी न किसी चीज के लिए पागल है । स्त्री पुरुष की बड़ी कमजोरी है ।वह स्त्री के लिए कम पगलाया नहीं रहता । कबीर ने स्त्री को काली नागिन कहा है । क्यों कि स्त्री के प्रेम का भूखा आदमी दर दर भटकता है । वियोग में रोता है , चिल्लता है , गाता है । नाना प्रकार के व्यवहार करता है । उसे अपनी सुध नहीं रहती , इसे भी एक प्रकार का पगलाना ही कहेंगे ।
नारी काली नागड़ी , तीनों लोक मझार ।
राम सनेहिया उबरे , विषयी खाये झार ।।
कबीर कहते हैं केवल राम से स्नेह करने वाले ही इस विषय वासना से बच सकते हैं , बाकी तो पूरा संसार ही इस विष को खा कर मरने के लिए तैयार है ।
इस संसार की सच से जाने कैसी दुश्मनी है । इस संसार में सच बोलने वालों की खैर नहीं । सच बोलने वाले लोगों को अपना दुश्मन बना लेते हैं । दुश्मन भी ऐसा वैसा नहीं , बल्कि जान का दुश्मन । सच बोलने वाले को लोग जान से मार देना चाहते हैं। उन्हें मिटा देना चाहते हैं । उन्हें समाप्त कर देना चाहते हैं । आखिर क्यों , उस बेचारे ने सच बोलकर क्या गुनाह कर दिया । कौन सा पाप कर दिया , जिसके कारण तुम जान लेने पर आमादा हो गए । कोई पूछे इस संसार से ऐसा क्यों है। है किसी में हिम्मत , नहीं , ऐसी हिम्मत किसी में नहीं । केवल एक आदमी पूछ सकता है । वह है कबीर । कबीर किसी के मुखापेक्षी नहीं हैं । लोगों को बुरा लगता है , लगे । कबीर इस बात की परवाह नहीं करते । कबीर सच कहते हैं डंके की चोट पर , उन्हें किसी का भय नहीं । न राजा का , न प्रजा का । उन्हें डर है तो केवल अपने राम का । राम खुश तो सब खुश ।
